शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009

हंसो हंसो जल्दी हंसो

हाय, ये क्या हुआ, ये अप्रैल फूल का दिन एक बार फिर आ पहुंचा है. मेरे पल्ले से तो यह बात दूर है कि कोई आपको पागल कह कर हंसे और आप भी उस के साथ ही हंस दें। साल का एक ऐसा दिन जब आप भी मुर्ख हैं और दूसरे भी सुनने में कुछ अटपटा सा लगात है...
चलो मान लिया जाए कि साल में एक दिन ऐसा है जब सभी अपनाअपना स्वाभिमान तज कर अपने या औरों पर हंसते हैं, तो हम जिन बातों पर पहली अप्रैल को हंसते हैं, वह तो हमारे देश में रोज ही घटती हैं। नेताजी रोज कोई नया झूठ बोलते हैं, लड़के आए दिन लड़कियों को प्रपोज मारते हैं, बच्चे स्कूल से बंक मारते हैं, बेटियां माओं से बहाने बना बाहर जाती हैं या फिर चलतेचलते ऐसे ही किसी को गाले दे दी जाती है.
यह बात चाहे किसी और त्यौहार पर फिट न बैठे, लेकिन पहली अप्रैल पर सटीक बैठती है कि हमारे लिए कोई त्यौहार एक दिन का नहीं होता हम भारतीय हैं हर त्यौहार को हर दिन मानते हैं।अब जरा बताईए तो, क्या रोेज के रोज आप ‘अप्रैल फूल‘ कह कर हंसते रहेंगे ? ऐेसे भला देश का विकास कैसे होगा. विकास के तहत कीमतंे नहीं बढ़ेंगी, तो गरीबों को कैसे पता चलेगा कि देश की तरक्की हो रही है.
इस बार तो सो काल्ड त्यौहार को पूरा देश इसे मनाने वाला है. वह भी चुनाव के रूप में. इस अप्रैल को नेता चाहे कितने ही वायदे करें, जनता चाहे उन से कितना ही फायदा क्यों न उठाए, आखिर में दोनों एक दूसरे को फूल ही कहेंगे. भई कर भी क्या सकते हैं यही तो हमारे लोकतंत्र का रिवाज है और यह अगर अप्रैल माह में आन पड़ा है, तो इसे इत्तफाक ही मानिएगा कुछ और नहीं।
हमारे एक पत्रकार मित्र को ही देखिए गुजरे कल तक तो उन्हें राजनीति नाम के परिंदे से बहुत चिढ़ थी, लेकिन इस बार अप्रैल का फायदा उन्होंने भी उठाना चाहा सो कूद पड़े मैदान में और जब हाथ पैर मारने पर टिकट नहीं मिला, तो नाक मुंह घोंस कर घींघीं कर बोल उठे ‘ देखा, बनाया न सब से बड़ा ‘अप्रैल फूल‘, कोई इतना अच्छा फूल बनाने का तरीका नहीं सोच सकता‘
मेरे एक दोस्त हैं। वे हमेशा ‘अप्रैल फूल‘ का पूरा लुत्फ उठाते हैं. हैं तो वे एक नंबर के दिल फैंक, लेकिन खुद को आधुनिक मानव का तमगा दे रखा है उन्होंने. हर पहली अप्रैल को न जाने कितनी ही लडकियों को आईलवयू बोलते हैं. कोई पट जाए पता तो ठीक है, नहीं तो ‘अप्रैल फूल‘ कह खीखी कर हंस देते हैं. उन की यह बात मुझे तो तनिक भी नहीं हंसाती.
ये तो थी मजाक की बातें, पर हमारे पड़ोसी किशोर जी तो अप्रैल फूल को त्यौहार की तरह पूजते हैं। आप को जानकर शायद अचरज न होगा कि वे इस दिन को धनतेरस की तरह मनाते हैं. अरे, हंस क्या रहे हैं आप. ये जो हमारे किशोर जी हैं वे उन लोगों में शामिल हैं, जिन का धंधा लोगों को पागल बना कर उन्हें लूटना होता है यानी कि ठग. मुझे तो लगता है कि हमारे देश में जिनते भी ठग हैं सभी ने इसी दिन से अपने काम कि शुरूआत की होगी और यही उन का प्रेरण स्रोत रहा होगा.
भाई जान, खबरिया चैनलों के लिए तो यह दिन टीआरपी की चुंबक है. कितने ही चैनल इस दिन अगड़म बगड़म खबरें बना कर पूरा दिन टीआरपी बटोरते हैं. अब तो मुझे भी लगने लगा है कि इस त्यौहार को अगर सेलिब्रेट किया जाता है तो कोई गलत बात नहीं. गलती, हंसी, गुस्सा या कभी भारी खीज को दबाने के लिए इस का नाम भर काफी है. कोई भी बात हो अप्रैल माह में बस कह दीजिए ‘अप्रैल फूल‘.

12 टिप्‍पणियां:

  1. बड़े बेतकल्लुफी में लिखा गया प्रतीत होता है तथा हास्य,व्यंग बखूबी परोसा गया है। आपके दिलफेंक मित्र इज़हारे मुहब्बत के इस प्राचीन नुस्खे पर अभी भी अपना विश्वास जमाए हुए हैं, पढ़कर आश्चर्य हुआ। नेता और जनता इस प्रकार की रचना में अपनी दख़ल बनाए ही रखते हैं। अंत में लेखन की आपकी शैली अच्छी लगी, यूँ लगा जैसे फुरसत में दोस्तों संग गप्प लड़ाया जा रहा हो।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही गजब का लिखा है... हिंदी ब्लॉग दुनिया में आपका स्वागत है..

    जवाब देंहटाएं
  3. bloging jagat me aapka swaagat hai.
    aage aur unnati ke liye meri shubhkaamnaye aapke saath hain.
    april fool hasne aur logon ko hasaane ke liye hi to banaya gaya hai.

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभकामनाएं इस सुन्दर ब्लॉग के लिए

    जवाब देंहटाएं
  5. Apni apni dafali apna apna raag..
    Yah kahawat shayad isi ke liye likhi gayi thi.
    Bahut achchha likha hai aapne.
    Navnit Nirav

    जवाब देंहटाएं
  6. उफ़ ये दिन तो चला जा चूका था....इसलिए मैं वैसा आनंद नहीं ले पाया.....हाँ मगर आपने तो अच्छा लिखा .....!!

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

    जवाब देंहटाएं
  8. hummm bahut achha lekh ....chittajagat main swagat hai......waise main bhi aapki hi biradri se hui....yaani journalist....welcome to my blog also...

    Jai Ho Mangalmay HO...

    जवाब देंहटाएं

www.blogvani.com चिट्ठाजगत Hindi Blogs. Com - हिन्दी चिट्ठों की जीवनधारा